Love Shayari - General Shayari

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वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो


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Romantic Shayari

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16 Apr 2020 View Full Shayari

Life Quotes Shayari

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09 Apr 2020 View Full Shayari

Life Quotes Shayari

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है
मौत से आँख मिलाने की जरूरत क्या है

सबको मालूम है बाहर की हवा है कातिल
फिर कातिल से उलझने की जरूरत क्या है

जिन्दगी हजार नियामत है, संभाल कर रखे
फिर कब्रगाहो को सजाने की जरूरत क्या है

दिल को बहलाने के लिये, घर में वजह काफी है
फिर गलियों में बेवजह भटकने की जरूरत क्या है

01 Apr 2020 View Full Shayari

Life Quotes Shayari

ठोकर नही खाओगे
तो जानोगे कैसे?
की तुम शीशे के बने हो
या पत्थर के

-Veer Balika

09 Feb 2020 View Full Shayari

Life Quotes Shayari

फितरत तो कुछ
यूं भी है इन्सान की


बारिश खत्म हो जाए तो
छतरी भी बोझ लगती

26 Jan 2020 View Full Shayari

Life Quotes Shayari

जिन के आँगन में
अमीरी का शजर लगता है,

उन का हर ऐब भी
ज़माने को हुनर लगता है ...

25 Jan 2020 View Full Shayari

Life Quotes Shayari

अपने ही घर में मेहमान बन कर
आना जाना हुआ,

जब से शहर में शुरू
कमाना हुआ..!!

25 Jan 2020 View Full Shayari

Sad-Shayari

मोहब्बत की सजा बेमिसाल दी उसने
उदास रहने की आदत सी डाल दी उसने

मैंने जब अपना बनाना चाहा उसको
बातों बातों में बात टाल दी उसने

22 Jan 2020 View Full Shayari

Life Quotes-Shayari

कोई फूल धूप की पत्तियों में, हरे रिबन से बंधा हुआ
वह गजल का लहजा नया-नया, ना कहा हुआ ना सुना हुआ

जिसे ले गयी है हवा अभी ,वो वरक था दिल की किताब का
कही आंसुओ से लिखा हुआ ,कही आंसुओ से मिटा हुआ। ..

कई मील रेत को काट कर ,कोई मौज फूल खिला गयी
कोई पेड़ प्यास से मर रहा, हे नदी के पास खड़ा हुआ। ..

मुझे हादसों ने सज़ा सज़ा के बहुत हसीन बना दिया
मेरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ मेहन्दियों से रचा हुआ...

वही शहर है वही रास्ते वही घर है और वही लोव्न भी
मगर इस दरीचे से पूछना, वो दरख़्त अनार का क्या हुआ। ..

मेरे साथ जुगनू है हमसफ़र है ,मगर इस शरर की बिसात क्या
ये चिराग कोई चिराग है ,न जला हुआ न बुजा हुआ। ..

-बशीर बद्र

15 Jan 2020 View Full Shayari

Romantic-Shayari

अभी इस तरफ ना निग़ाह कर,
मैं गजल की पलके सवार लूं
मेरा लफ्ज़ लफ्ज़ हो आइना,
तुझे आईने में उतार लूँ..

मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
जरा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुजार लूँ।

कभी यूं भी आ मेरी आंख में,
के नजर को मेरी खबर ना हो,
मुझे एक रात नवाज दे,
मगर उसके बाद सहर ना हो..

वो बड़ा रहीमो-क़रीम है,
मुझे ये शिफ़्त भी अता करे,
तुझे भूलने की दुआ करू,
तो दुआ में मेरी असर ना हो.

-बशीर बद्र

15 Jan 2020 View Full Shayari
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